गोरा बनाने वाली क्रीमों की काली सच्चाई

गोरा बनाने वाली क्रीमों की काली सच्चाई

सेहतराग टीम

दुनिया भर के लोग, खासकर भारत के लोग गोरे रंग के पीछे पागल हैं और इस पागलपन में वे अनाप शनाप फेयरनेस क्रीमों के चक्कर में पड़कर अपनी सेहत बर्बाद कर रहे हैं। किसी भी टीवी विज्ञापन पर विश्वास करके हम अपनी रंगत गोरी करने के पीछे दौड़ पड़ते हैं लेकिन क्या हमने कभी इन उत्पादों का ढंग से विश्लेषण किया है कि उनमें आखिर किन चीजों का इस्तेमाल होता है? हमें गोरा बनाने वाली क्रीमों के पीछे की काली सच्चाई को जानना बहुत जरूरी है।

इस करोड़ों के उद्योग के बारे में यह बात कम ही लोगों को पता होगी कि यह क्रीम आपको बहुत गंभीर समस्याओं में डाल सकती है। बाजार में धड़ल्ले से बेची जा रही अधिकांश फेयरनेस क्रीम स्टेरॉयड, हाइड्रोकिनोन जैसे घटकों का एक खतरनाक कॉकटेल है जिसका लंबे समय तक इस्तेमाल स्किन कैंसर, लिवर को नुकसान, मर्करी पॉयजनिंग जैसी घातक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इन फेयरनेस क्रीमों में कुछ भी फेयर नहीं हैं। कई शोधों में लंबे समय तक फेयरनेस क्रीम इस्तेमाल करने वाले 30 फीसदी लोगों में इसके दुष्प्रभाव देखने को मिले।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी की है कि गोरा बनाने वाले उत्पादों में आम तौर पर इस्तेमाल होने वाला मर्करी आपकी सेहत के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। पता चलता है कि मर्करी न सिर्फ क्रीमों में बल्कि गोरा बनाने वाले साबुनों और कई दूसरे सौंदर्य प्रधासनों जैसे काजल आदि और क्लींजिंग उत्पादों में भी इस्तेमाल किया जाता है। वजह यह है कि मर्करी सॉल्ट मेलानिन के उत्पादन को बाधित करता है जिससे त्वचा की रंगत हल्की नजर आती है।

भारत में विज्ञापन मानक परिषद्, कॉस्मेटिक विज्ञापन के बारे में दिशानिर्देश भी जारी कर चुकी है कि गहरे रंग के लोगों को निराश या जीवन के किसी क्षेत्र में असफल न दिखाया जाए। जिस देश में लड़कियों और अब लड़कों की भी शादी त्वचा का रंग देखकर होती हो, ऐसे देश में फेयरनेस क्रीमों के प्रति पागलपन स्वाभाविक है। मगर यह पागलपन हद पार कर चुका है। फेयरनेस क्रीम उद्योग ने भारतीयों की अपने त्वचा के रंग के प्रति असुरक्षा को देखते हुए बेहिसाब पैसे बना लिए हैं। नई दिल्ली स्थित एक एनजीओ ने इन क्रीमों में बड़ी मात्रा में मर्करी, लीड, निकल और क्रोमियम पाया। फेयरनेस क्रीमों में आम तौर पर हाइड्रोकिनोन, मर्करी और स्टेरॉयड इस्तेमाल किया जाता है। इन रसायनों का प्रयोग कुछ देशों में प्रतिबंधित है। ये रसायन समय के साथ त्वचा को बदरंग कर सकते हैं, आपका नर्वस सिस्टम बिगड़ सकता है और कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

इन क्रीमों के आम दुष्प्रभावों में हैं:

खुजली – यह फेयरनेस क्रीमों का सबसे आम दुष्प्रभाव है। यह आम तौर पर क्रीम को लगाने के तुरंत बाद नजर आता है। अगर आपको इस तरह की कोई शिकायत होती है, तो त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।

एलर्जी - कई बार फेयरनेस क्रीमों में इस्तेमाल होने वाले किसी एक तत्व से आपको एलर्जी हो सकती है। यह आपकी त्वचा में खुजली, लालिमा और एडीमा जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। फेयरनेस क्रीमों का लगातार इस्तेमाल त्वचा कैंसर की एक वजह है। इनमें इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायन कैंसर पैदा करने वाले हो सकते हैं। हाइड्रोकिनोन, मर्करी या स्टेरॉयड वाले फेयरनेस क्रीमों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

शुष्क त्वचा: अगर आप अपनी त्वचा के लिए सही क्रीम नहीं चुनते तो आपको शुष्क और पपड़ीदार त्वचा की शिकायत हो सकती है।

मुंहासे: अगर फेयरनेस क्रीम अधिक तैलीय और खराब गुणवत्ता की है तो आपकी त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाएंगे और चेहरे पर मुंहासे आ जाएंगे। यह फेयरनेस क्रीम का एक सबसे नुकसानदायक परिणाम है क्योंकि मुंहासों के निशान आपके चेहरे को भद्दा बना सकते हैं।

फोटो सेंसिविटी: फेयरनेस क्रीम का लगातार इस्तेमाल आपकी त्वचा को सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशील बना देगा। इससे सन बर्न, फफोले और पिगमेंटेशन हो सकता है। इसलिए इन क्रीमों के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें।

आलेख की दूसरी कड़ी यहां पढ़ें :

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